Friday 19 February 2016

Ahsas: अलविदा सूरजकुंड मेला

Ahsas: अलविदा सूरजकुंड मेला: अलविदा सूरजकुंड मेला अंदर जाने के कई रास्ते और हर रास्ते मे मिलने वाली कच्ची दिवारों पर खुबसुरती से बनी पक्की पेंटिग को देख कर ही अहसा...

अलविदा सूरजकुंड मेला

अलविदा सूरजकुंड मेला

अंदर जाने के कई रास्ते और हर रास्ते मे मिलने वाली कच्ची दिवारों पर खुबसुरती से बनी पक्की पेंटिग को देख कर ही अहसास हो जाता है कि अंदर किस खुबसुरती का दीदार होने वाला है।कदम बढ़ने के साथ लोगो की भीड़ भी बढ़ती जाती है और समय समय पर लाउडस्पीकर से होने वाली घोषणा की तेज आवाज के बीच एक अनोखी आवाज लोगो का ध्यान  ओर नजरे अपनी ओर खिंचती हैं जरा सी नजर उठा कर देखने पर चारो तरफ तेज रफतार से गोल गोल चक्कर लगाता एक शानदार हैलिकॉप्टर नजर आता है। 
इन दृश्यो को देख कर अंदर जाने का उत्साह और बढ़ जाता है जी हाँ ये दृश्य है हरियाणा राज्य के जिला फरीदाबाद के सूरजकुंड गांव के 40 एकड़ क्षेत्र मे (1-15 फरवरी) तक लगने वाले 30वें अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड हस्तशिल्प मेला 2016 का 
जिसमे कुल 23 देशो ने हिस्सा लिया और तेलंगाना को इस बार थीम राज्य बनाया गया था, जबकी 2014 मे गोआ और 2015 मे छत्तीसगढ़ को थीम राज्य बनाया गया था। इस मेले की शुरुआत वर्ष 1987 मे हुई और साल 2013 मे इसे अंतरराष्टीय
 स्तर का मेला घोषित किया गया,मेले को भारत मे होने वाले पांच प्रमुख मौसम (सर्दी,गर्मी,वर्षा,शरद,और बंसत)ऋतु के अनुसार ही पांच प्रमुख जोन मे बांटा गया था जिसके कारण मेले का आकर्षण और भी बढ़ गया 

लोगो की बड़ी भीड़ को अपनी ओर आकर्षित करने वाला ये मेला अब समाप्त हो चुका है लेकिन क्या इस गांव नुमा मेले का आकर्षण भी लोगो के मन मस्तिष्क से इसकी समाप्ति के बाद ही समाप्त हो जाएगा इस बारे मे जब मैने मेले के 11वें दिन कुछ लोगो से बात की तो जम्मु कशमीर राज्य से आए मोहम्मद रफीक जिन्होने मेले मे कशमीरी कपड़ो की दुकान लगाई थी उन्होने बताया मै इस मेले मे पहली बार जरुर आया हुँ लेकिन यहाँ आने के बाद महसुस ही नही हुआ कि ये जगह मेरे लिए नई है यहाँ से बहुत कुछ सीखकर और ढेर सारी यादें लेकर जा रहा हुँ बिक्री भी ठिक ठाक हुई है इन्शाअल्लाह अगली बार भी आने की पुरी कोशिश करुँगा। पश्चिम बंगाल से आई नरगिसा जिन्होने मेले मे खादी और तात से बने हुए कपड़ो की दुकान लगाई थी कहती हैं  

जितना सोचकर आई थी उतनी बिक्री तो नही हुई लेकिन आने वाले सभी देशी और विदेशी खरीददार इतनी अच्छी तरह मिलते जुलते हैं कि उनसे एक रिशता सा बन गया है कई विदेशी महिलाओ ने तो इस काम के बारे मे मुझसे ढेर सारी जानकारी ली और मुझसे संपर्क करने के लिए मेरा नंबर भी लिया पैसो का तो पता नही लेकिन इस मेले के कारण मुझे अब कई विदेशी दोस्त  भी मिल गई जिसके लिए मै इस मेले की हमेशा शुक्रगुजार रहुंगी बिहार के मधुबनी जिले से आई ज्वालामुखी देवी ने अपने छोटे भाई दिनेश के साथ मधुबनी पेंटिग की स्टॉल लगाई थी मेले के बारे मे बताती हैं मधुबनी पेंटिग बिहार की एक अलग पहचान तो है ही लेकिन मेले मे हमे जगह मिलने के कारण न सिर्फ मधुबनी पेंटिग को बल्कि कलाकार के रुप मे हम भाई-बहन को भी लोगो के बीच नई पहचान मिल रही है रोज की बिक्री अच्छी हो जाती है मेले का समय अगर 15 दिनो से ज्यादा होता तो और भी अच्छा होता वैसे यहाँ का अनुभव हमेशा याद रहेगा अब अगले साल लगने वाले मेले का इंतजार है। जहाँ एक ओर मेले मे अपनी अपनी बिक्री को लेकर कुछ दुकानदार संतुष्ट तो कुछ असंतुष्ट दिखे तो वहीं दुसरी ओर मेले मे साफ सफाई का बीड़ा उठाने वाले कई सफाई कर्मियों मे से एक मधु जो फरीदाबाद जिले की रहने वाली हैं जब उनसे मेले के अनुभव के बारे मे पुछा तो उन्होने बताया मुझे मेरी नन्द ने यहाँ काम दिलवाया है 15 दिन सफाई करने के अच्छे खासे पैसे मुझे मिल जाएँगे सुबह साढ़े दस बजे से लेकर रात के साढ़े आठ बजे तक ये मेला चलता है हम अपने सुपरवाईजर के आदेश पे कुछ कुछ समय बाद अपने अपने जोन मे मेले का च्क्कर लगाते हे और सफाई करते हैं लेकिन फिर भी थकावट का अहसास जरा भी नही होता क्योंकि यहाँ रोज किसी न किसी स्कुल के बच्चे घुमने आते हैं उनके चेहरे की खुशी देखकर मेरी सारी थकान दुर हो जाती है हम जैसे लोगो को भी इस मेले ने रोजगार दिया है ये बड़ी बात है  मेले मे आए स्कुल के कुछ बच्चो ने बताया 
हमारे लिए बहुत ही नया और अनोखा अनुभव है मेले को गांव का रुप दिया गया है वो बहुत अच्छा लगा हाँ टॉयलेट ज्यादा साफ नही हैं बाकी खाने पीने की कई चीजों मे केसर कुल्फी बहुत टेस्टी लगी हमने बायोस्कोप भी देखा, बहुत मस्ती की अगली बार भी ग्रुप मे आना चाहेंगे तबतक के लिए बॉय बॉय सूरजकुंड मेला  जिला फरीदाबाद से ही अपनी माँ के साथ आई विरेनद्री कहती हैं मै पिछले कई सालो से इस मेले मे आ रही हुँ और हर साल बेसब्री से मेले का इंतजार करती हुँ क्योंकि हर बार यहाँ घर और खुद को संजाने  के लिए एक से बढ़कर एक चीजें मिल जाती हैं जिन्हे खरीदना मुझे काफी पंसद है। गुड़गांव से आए मारियो नरोना  कहते है मै पहली बार आया हुँ लेकिन काफी अच्छा अनुभव रहा हाँ मैने कोई खरीददारी नही कि क्योंकि चीजें कुछ ज्यादा ही मंहगी लगी पर मैने अन्य देश एंव राज्यो से आए हमारे कलाकारो और पर्यटकों से खुब बाते की और उनके काम की भी जानकारी ली शहर की भीड़ भाड़ से दुर आज यहाँ आकर एक बार फिर से इस बात का एहसास हुआ कि हमारे देश की पहचान गांव मे ही रची बसी है और मेले के इस गांव से जाने का दिल नही कर रहा। शाहिन बाग की यासमीन कहती हैं  
मेले को उपर से दिखने के लिए हैलीकॉपटर का इंतजाम किया गया है लेकिन अगर ये थोड़ा सस्ता होता तो ज्यादा अच्छा था  फिर भी मैने और बच्चो ने मेले मे खुब मस्ती की बच्चे भी काफी खुश हैं। मेले के मीडीया प्रबंधक राजेश जून ने बताया " हर साल जुन माह से हम मेले की तैयारी मे जुट जाते हैं, इस बार लोगो की प्रतिक्रिया काफी अच्छी रही, भीड़ इतनी थी की बैठने की जगह कम पड़ गई इसलिए हम अगले मेले मे बेंच और शौचालय की संख्या मे बढ़ोतरी करेगें ताकि लोगो को और सुविधा दी जा सके
राजेश जून और लोगो की बातो से साफ झलक रहा है कि इस मेले ने पिछले पंद्रह दिनो तक क्या बच्चे,क्या बड़े,क्या बुढ़े,क्या जवान, क्या देशी, क्या विदेशी, अपने सभी मेहमानो का खुब मनोरंजन किया जिस कारण हर कोई इस मेले से लंबे समय तक जुड़ाव महसुस करेगा और अगले सूरजकुंड मेले का इंतजार भी। भागदौड़ भरी जिंदगी मे जिस तरह सूरजकुंड मेले ने लोगो मे एक नई उर्जा भरी है उसके लिए हम सबकी तरफ से इस मेले को दिल की गहराईयों से शुक्रीया और अलविदा सूरजकुंड मेला।     

Friday 5 February 2016

तुम्हारा आंचल मुझे याद आता है




तुम्हारा आंचल मुझे याद आता है "माँ " वो की जिसमे छुपती थी और लिपट जाती थी तुमसे
और,गुमा ये होता था कि मैै महफुज हुँ दुनिया की हर मुसिबत से,वो तुम्हारा आंचल और उसकी छांव आज जब नही है तो मालुम होता है कि क्या है मुसीबत की धुप जो हर पल मुझे जलाती है,पर मै चाह कर भी बच नही पाती,जानती हो माँ क्यो ? क्योकि तुमहारे ममता का आंचल आज साथ नही है,अब समझा मैने की वो महज आंचल नही था एक छत थी ऐसी कि जिसने बचाया था मुझे दुनिया की हर बला हर मुसिबत से वो तुम्हारा आंचल याद आता है ।

Monday 21 December 2015

क्यो जाया गई मेरी कुर्बानी ?

क्या मेरा दर्द तुम सबने देखा नही था
वो एक भयानक सच था कोई धोखा नही था
मैने तो जलाई थी इंसाफ की एक चिंगारी
ताकि फिर किसी बेटी को न लुटे कोई हवस का पुजारी
फिर भी देश की बेटियों को हिफाजत नही मिली
गैंगरेप की आग मे न जाने कितनी जिन्दगी जली
और कितनी मासुमो को सुली पर चढ़ाओगे
रुह तक कांप उठे जिसे सुनकर वो सख्त कदम उठाओगे ?
मेरी बेबसी का किस्सा बनकर क्यो रह गई, एक कहानी
आज पुछती है दीमीनी क्यो जाया गई मेरी कुर्बानी ?


Monday 14 December 2015

जिंदगी मे कुछ चीजें तब तक समझ नही आती जब खुद पर न गुजरती हो
हां बुरा जरुर लगता है जो बुरा होता है 
पर, हर बुरा वक्त यकीनन कुछ न कुछ सीखा कर जाता है 
और ये कहते हुए कि टुट कर बिखरना जिंदगी नही ,
बल्कि यूं मजबुत बनना कि कोई तुम्हे फिर कभी तोड़ न पाए 
यही जिंदगी है, हां यही जिंदगी है

Sunday 13 December 2015


                            क्या वाकई वो गरीब है ?

निकहत प्रवीन


सुट गरम सुट, शॉल ले लो घर की बालकनी मे कपड़े पसारते हुए ये आवाज मेरे कानो मे पड़ी मैने नीचे झांक कर देखा तो एक कशमीरी जिसकी उम्र लगभग 50-55 साल की होगी वो अपने कांधे पर कपड़ो की एक मोटी सी गठरी उठाए हुए था गठरी इतनी भारी थी की उसके वजन से उस फेरी वाले के कांधे झुके जा रहे थे फिर भी लोगो को आवाज लगाने का काम पुरे जोश से कर रहा था मैने भी कुछ सुट देखने के लिए उस फेरी वाले को बुलाया तो कुछ और औरते ईकट्ठा हो गई किसी ने शॉल लिया किसी ने सुट कुल मिलाकर लगभग दो हजार की बिक्री हो गई थी वो इतने खुश थे कि कि थोड़े समय पहले चेहरे पर जो थकान दिख रही थी वो एकदम से कहां गई पता नही जाते हुए उन्होने एक ग्लास पानी मांगा और शुक्रिया कहते हुए मुझे ढेर सारी दुआएं देने लगे मैने पुछा आप मुझे क्यो शुक्रिया कह रहे तो उस सीधे साधे इंसान ने जवाब दिया आज इस मुहल्ले मे मेरी जितनी भी बिक्री हुई उसका जरीया अल्लाह ने आप को बनाया न आप बालकनी से मुझे देखकर बुलाती न बाकी लोग यहां ईकट्ठा होते और मेरी ईतनी बिक्री होती इसलिए मेरा फर्ज बनता है कि मै उसे शुक्रिया कहुँ जिसको अल्लाह ने आज मेरे लिए रिज्क का जरिया बना कर भेजा और हर बार उस इंसान का शुक्रिया अदा करता हुँ जो मेरी किसी भी तरह से मदद करता हो चाहे वो मदद छोटी हो या बड़ी मै गरीब आदमी हुँ मेरी बहन दुसरो को और कुछ नही दे सकता सिवाए दुआओ के कहते हुए वो अपनी भारी गठरी लेकर सीढ़ीयो से नीचे उतर गया और मै दरवाजे पर खड़ी सोचती रही कि जिसके पास इतना साफ दिल और दुआओ का ऐसा खजाना है क्या वाकई वो गरीब है ?