क्या वाकई वो गरीब है ?
निकहत प्रवीन
सुट गरम सुट, शॉल ले लो घर की बालकनी मे कपड़े पसारते हुए ये आवाज मेरे कानो मे पड़ी मैने नीचे झांक कर देखा तो एक कशमीरी जिसकी उम्र लगभग 50-55 साल की होगी वो अपने कांधे पर कपड़ो की एक मोटी सी गठरी उठाए हुए था गठरी इतनी भारी थी की उसके वजन से उस फेरी वाले के कांधे झुके जा रहे थे फिर भी लोगो को आवाज लगाने का काम पुरे जोश से कर रहा था मैने भी कुछ सुट देखने के लिए उस फेरी वाले को बुलाया तो कुछ और औरते ईकट्ठा हो गई किसी ने शॉल लिया किसी ने सुट कुल मिलाकर लगभग दो हजार की बिक्री हो गई थी वो इतने खुश थे कि कि थोड़े समय पहले चेहरे पर जो थकान दिख रही थी वो एकदम से कहां गई पता नही जाते हुए उन्होने एक ग्लास पानी मांगा और शुक्रिया कहते हुए मुझे ढेर सारी दुआएं देने लगे मैने पुछा आप मुझे क्यो शुक्रिया कह रहे तो उस सीधे साधे इंसान ने जवाब दिया आज इस मुहल्ले मे मेरी जितनी भी बिक्री हुई उसका जरीया अल्लाह ने आप को बनाया न आप बालकनी से मुझे देखकर बुलाती न बाकी लोग यहां ईकट्ठा होते और मेरी ईतनी बिक्री होती इसलिए मेरा फर्ज बनता है कि मै उसे शुक्रिया कहुँ जिसको अल्लाह ने आज मेरे लिए रिज्क का जरिया बना कर भेजा और हर बार उस इंसान का शुक्रिया अदा करता हुँ जो मेरी किसी भी तरह से मदद करता हो चाहे वो मदद छोटी हो या बड़ी मै गरीब आदमी हुँ मेरी बहन दुसरो को और कुछ नही दे सकता सिवाए दुआओ के कहते हुए वो अपनी भारी गठरी लेकर सीढ़ीयो से नीचे उतर गया और मै दरवाजे पर खड़ी सोचती रही कि जिसके पास इतना साफ दिल और दुआओ का ऐसा खजाना है क्या वाकई वो गरीब है ?
कोई गरीब नही इस दुनिया में, हमारी सोच किसी को गरीब और बनती है
ReplyDeleteBeshak
Deleteकोई गरीब नही इस दुनिया में, हमारी सोच किसी को गरीब और बनती है
ReplyDeletemehnat aur pahal ki do badi misaal
ReplyDeleteShukriyaa sir
Deletemehnat aur pahal ki do badi misaal
ReplyDeleteआशा निराशा के बीच चलती जीवन के रेल में किसी की जरुरत पहचान कर मदद करना उसके दर्द को बाटना है .बोझ लेकर चलना और हल्का करने की इन्तजार में दर दर भटकना ..और दुआ बरसाकर अहसान जताना ..दिल छु जाता है .
ReplyDeletejee shukriyaa
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