Friday 5 February 2016

तुम्हारा आंचल मुझे याद आता है




तुम्हारा आंचल मुझे याद आता है "माँ " वो की जिसमे छुपती थी और लिपट जाती थी तुमसे
और,गुमा ये होता था कि मैै महफुज हुँ दुनिया की हर मुसिबत से,वो तुम्हारा आंचल और उसकी छांव आज जब नही है तो मालुम होता है कि क्या है मुसीबत की धुप जो हर पल मुझे जलाती है,पर मै चाह कर भी बच नही पाती,जानती हो माँ क्यो ? क्योकि तुमहारे ममता का आंचल आज साथ नही है,अब समझा मैने की वो महज आंचल नही था एक छत थी ऐसी कि जिसने बचाया था मुझे दुनिया की हर बला हर मुसिबत से वो तुम्हारा आंचल याद आता है ।

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